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घर में था क्या कि तिरा ग़म उसे ग़ारत करता
वो जो रखते थे हम इक हसरत-ए-तामीर सो है
शैख़ और बरहमन में अगर लाग है तो हो
दोनों शिकार-ए-ग़म्ज़ा उसी दिल-रुबा के हैं
भरे हों आँख में आँसू ख़मीदा गर्दन हो
तो ख़ामुशी को भी इज़हार-ए-मुद्दआ कहिए
पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं
नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है
महशर में पास क्यूँ दम-ए-फ़रियाद आ गया
रहम उस ने कब किया था कि अब याद आ गया
वो मुंकिर है तो फिर शायद हर इक मकतूब-ए-शौक़ उस ने
सर-अंगुश्त-ए-हिनाई से ख़लाओं में लिखा होगा
More Shayari
Motivational Shayari

अगर मेहनत आदत बन जाती है,
तो सफलता मुक़द्दर बन जाती है।
~ अज्ञात
क़दमों को बांध न पाएगी मुसीबत की जंजीरें,
रास्तों से जरा कह दो अभी भटका नहीं हूं मैं।

अगर मेहनत आदत बन जाती है,
तो सफलता मुक़द्दर बन जाती है।
~ अज्ञात

अगर मेहनत आदत बन जाती है,
तो सफलता मुक़द्दर बन जाती है।
~ अज्ञात

अगर मेहनत आदत बन जाती है,
तो सफलता मुक़द्दर बन जाती है।
~ अज्ञात
मेरे अंदर का जोश लोग समझ नहीं पाते,
इसलिए वो मुझे परेशान करने की कोशिश करते हैं।
Festival Shayari

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

इन हंसी के पलों को जी लो जनाब
फिर दोस्ती के वो पुराने दिन लौटकर नहीं आते|
~ अज्ञात
इन हंसी के पलों को जी लो जनाब फिर दोस्ती के वो पुराने दिन लौटकर नहीं आते|
शब गुज़री बुझने लगा रौशनियों का शहर लौटी साहिल की तरफ़ थकी थकी इक लहर

“खुशी का कोई मोल नही होता
ये तो होठो की गुलाम होती है”
~ अज्ञात
“खुशी का कोई मोल नही होता ये तो होठो की गुलाम होती है”
Funny Shayari
अज्ञात

तुम्हारी याद दिल से जाने नहीं देंगे,
तुम्हारे जैसा दोस्त खोने भी नहीं देंगे।
रोज़ शराफत से SMS किया करो,
एक कान के नीचे देंगे और रोने भी नहीं देंगे।
~ अज्ञात

कह दो अपने दांतों को, क़ि हद में रहें,
तेरे लबों पे बस मेरे लबों का हक़ है……!!!
~ अज्ञात
कह दो अपने दांतों को, क़ि हद में रहें, तेरे लबों पे बस मेरे लबों का हक़ है……!!!

हम अपनी दिलपसंद पनाहों में आ गए,
जब हम सिमट के आपकी बाहों में आ गए…..!!!
~ अज्ञात
हम अपनी दिलपसंद पनाहों में आ गए, जब हम सिमट के आपकी बाहों में आ गए…..!!!

तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो,
दिल मेरा था और धडक रहा था वो,
प्यार का ताल्लुक अजीब होता है,
प्यास मेरी थी और सिसक रहा था वो……!!!
~ अज्ञात
तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो, दिल मेरा था और धडक रहा था वो, प्यार का ताल्लुक अजीब होता है, प्यास मेरी थी और सिसक रहा था वो……!!!

तुमसे 5 मिनट बात हो जाती है तो,
दिन भर की टेंशन खत्म हो जाती है।
~ अज्ञात
तुमसे 5 मिनट बात हो जाती है तो, दिन भर की टेंशन खत्म हो जाती है।

यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ
दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है
~ शहज़ाद अहमद
यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है
Khumar Barabankvi
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए
View Shayariअज्ञात
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
View Shayariअज्ञात
“कभी सोचा नहीं था कि, जिसे कभी ना खोने की दुआ की थी, वही सबसे पहले छोड़ जाएगा।”
View Shayariअज्ञात
तेरे बिना इस दिल को सुकून नहीं मिलता, हर खुशी तेरे साथ ही थी, अब सब बेमानी है।
View Shayariअज्ञात
“कभी-कभी दिल को भी समझाना पड़ता है कि जिसे हम चाहते हैं, वो हमें नहीं चाहता।”
View Shayariअज्ञात
खामोशियों में छुपी हैं कई बातें, जो कहनी थीं तुमसे, पर अब नहीं कह पाते।
View ShayariNida Fazli
ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ दूर के साथी हैं फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है
View Shayariन जाने मेरा ये दिल कहाँ खो गया,
न जाने मेरा ये दिल कहाँ खो गया,
तुझे पहली दफा देखा और तेरा ही हो गया।
उल्फत, मोहब्बत, बेवफा, हया, इश्क, गम, अफसानें
उल्फत, मोहब्बत, बेवफा, हया, इश्क, गम, अफसानें वो आई ही थी जिंदगी में शायद उर्दू सिखाने
अज्ञाततेरी बेवफा दुनिया में, हम ना कभी खुश थे,
तेरी बेवफा दुनिया में, हम ना कभी खुश थे, दर्द का ये कारवां, तेरे बिना भी चलता रहा।
अज्ञातकाश कोई अपना संभाल ले मुझको,
काश कोई अपना संभाल ले मुझको, बहुत कम बचा हूँ बिल्कुल दिसम्बर की तरह…!!
अज्ञातवादे किए थे हर रोज़ नए तूने,
वादे किए थे हर रोज़ नए तूने, पर तेरे हर वादे में छिपा था एक धोखा।
अज्ञातगिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का
गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का लहू में ग़र्क़ सफ़ीना हो आश्नाई का
मोहम्मद रफ़ी सौदाहम ने तो ख़ुद को भी मिटा डाला
हम ने तो ख़ुद को भी मिटा डाला तुम ने तो सिर्फ़ बेवफ़ाई की
ख़लील-उर-रहमान आज़मीए बेवफ़ा, तेरा ख्याल यादों से मिटाया नहीं जाता,
ए बेवफ़ा, तेरा ख्याल यादों से मिटाया नहीं जाता, तुझे इस दिल से भुलाया नहीं जाता…!!
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"